जनवरी के महीने का अंत था और हम बिटिया का तीसरा जन्मदिन मना चुके थे। और बिटिया ने उपहार में माँगा था एक vacation जो कि जोधपुर, चंडीगढ़ या फिर जयपुर में ही होना चाहिए था।
जी हाँ चौंकिए मत, जब पापा की टूरिंग जॉब हो और वो टूर से वापस आ कर वहां की कहानियां बच्चों को सुनाएँ तो बच्चे बचपन से ही घुमक्कड़ हो जाते हैं। मैंने भी अपने दोनों बच्चों को इतनी कहानियां सुनाईं हैं कि ये दोनों भी बेसब्री से घूमने का इंतजार करते रहते हैं। दोनों यानि की बेटा जो की 8 साल का है और बेटी जो अब 3 साल की है।
खैर, बिटिया को उपहार देना ही था तो जगह चुनी गयी चंडीगढ़ और समय चुना गया मार्च का अंतिम हफ्ता। इस समय तक बेटे की वार्षिक परीक्षाएं भी समाप्त हो गयी होंगी और मौसम भी अच्छा रहेगा, न ठंडा और न ही गरम। हम सभी इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और बच्चों का उत्साह चरम पर था। हर रात सोने से पहले ट्रिप की प्लानिंग होती थी और बच्चों की उत्सुकता दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही थी।