Monday 17 September 2018

मानसून में उत्तराखंड यात्रा... भाग 2....

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 अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे हम रूड़की से सीधा आने की बजाय हरिद्वार और ऋषिकेश होते हुए देहरादून पहुंचे। अभी तक हमारी कुल ड्राइविंग 275 किलोमीटर से ज्यादा हो चुकी थी और ड्राइविंग का समय भी 7 घंटे (बीच में रुकने, खाने का समय अलग) तक पहुँच चुका था। सुबह 6 बजे चले थे और अब दोपहर के 3:30 हो रहे थे।

होटल पहुँच कर चेक इन किया, रिसेप्शनिस्ट को मसूरी व्यू रूम देने की गुजारिश की जो कि मान भी ली गयी। कमरे में आते ही सब ढेर हो गए। आँख खुली तो शाम के 5:30 बज चुके थे और हम एक घंटे से ज्यादा सो चुके थे। बच्चों को भी जगाया। चाय पी कर और फ्रेश हो कर सब तैयार हुए। नीचे आ कर गाड़ी ली और चल पड़े देहरादून के इवनिंग स्पॉट राजपुर रोड की तरफ। वहां जाने का मुख्य रास्ता सहारनपुर चौक, रेलवे स्टेशन और प्रिंस चौक हो कर जाता है लेकिन शाम की वजह से ट्रैफिक बहुत होना था। इसलिए हम
GMS रोड, बल्लीवाला चौक और बल्लूपुर चौक हो कर गए। बल्लीवाला चौक और बल्लूपुर, दोनों ही जगह फ्लाईओवर का काम चल रहा था। फिर भी वहां ज्यादा टाइम नहीं लगा। घंटाघर पहुँच कर बाएं मुड़े और राजपुर रोड पर आ पहुंचे। राजपुर रोड पर नेहरू पार्क के पास पार्किंग में गाड़ी लगाकर पैदल ही घूमने के लिए निकले। 

सामने ही The Buffet Shop थी। यह मिनी रेस्टोरेंट अपने स्वादिष्ट फ़ास्ट फ़ूड के लिए बड़ा ही लोकप्रिय है। यहाँ खट्टी मीठी चटनी के साथ सैंडविच, ब्रेड रोल, बर्गर, ब्रेड पकोड़े और तरह तरह के ठन्डे गरम ड्रिंक्स मिलते हैं। बैठने के जगह बिलकुल सीमित है। बाहर सड़क पर 2 - 3 गोल मेज लगा कर फटाफट खाना सर्व होता है। कीमत एक दम वाजिब। ख़ास तौर पर इनकी कॉफ़ी, सैंडविच, बर्गर और ब्रेड रोल सबसे ज्यादा बिकते हैं। हमने भी सब चीजें टेस्ट की। बारिश होने की वजह से मौसम अच्छा था और इसलिए भी गरमा गरम कॉफी बहुत बढ़िया लगी। इसके बाद हम काफी देर वहां घूमते रहे, वहीँ मार्किट में खाना खाया और होटल पहुँचे । रूम में पहुँच कर देखा कि मसूरी की पहाड़ियां रोशनी से झिलमिला रहीं थीं। हमारा होटल शहर के दूसरी तरफ था, अगर राजपुर की तरफ होता तो शायद ये दृश्य और सुन्दर दिखता।   

अगले दिन सो कर उठे और दिन का प्रोग्राम बनाया। आज हमें टपकेश्वर महादेव मंदिर, सहस्त्र धारा और पल्टन बाजार आदि घूमना था। फटाफट तैयार हुए, होटल में हल्का नाश्ता किया और टपकेश्वर महादेव मंदिर के लिए निकल पड़े। यह मंदिर देहरादून छावनी के पास है और भगवान शिव के प्रसिद्द मंदिरों में से एक है। मंदिर पहाड़ को काट कर बनाया गया है और सड़क से नीचे है। मंदिर के साथ ही एक बड़ी धारा बहती है। पहाड़ों से रिसता हुआ पानी शिवलिंग पर गिरता है, इसीलिए इसे टपकेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। मंदिर पहुंचे, प्रसाद लिया और सीढ़ियां उतरने लगे। आसमान में बादल थे और इसीलिए गर्मी नहीं थी। मंदिर में अंदर दर्शन किये, बाहर आ कर काफी देर बैठे और फिर चल पड़े। मंदिर के साथ बहती धारा में बहुत तेज पानी बह रहा था। बारिश के दिनों में ये छोटी छोटी धाराएं भी बहुत वेग से बहने लगती हैं। 

मंदिर से चले तो अगला पड़ाव चेतन पूड़ी वाला था जो कि रेलवे स्टेशन के सामने पलटन बाजार में एक अति व्यस्त सड़क पर था। गाड़ी लगायी रेलवे स्टेशन की पार्किंग में और वहां से पैदल ही 10 मिनट में पहुँच गए। 1 थाली ली गयी। खाना पत्तल पर सर्व होता है। पानी से भीगने पर पत्तल से एक अलग ही खुशबु आती है। खाने में 3 सब्जियां, (आलू की तीखी, कद्दू की सूखी और छोले), 4 पूरी और दो चटनियाँ थी। साथ में रायता अलग से ले सकते हैं। मीठे में गुलाब जामुन अलग से थे। सब्जी जितनी चाहे लो, एक्स्ट्रा पूरी के पैसे अलग थे । बच्चे तो गुलाब जामुन के आगे सब भूल गए। 

दिन का दूसरा नाश्ता ख़त्म हुआ, स्टेशन से गाड़ी ली और चल पड़े सहस्त्र धारा। स्टेशन से सीधा राजपुर रोड, राजपुर से थोड़ा पहले दाएं मुड़े और बल खाती सड़क पर चलते हुए सहस्त्र धारा पहुंचे। एंट्री टैक्स लगा 40 रुपये। गाड़ी की पार्किंग लगी 30 रुपये। गाड़ी लगा धारा के पास पहुँच तो गए लेकिन पानी बहुत ही तेज था। नीचे जाने का प्रश्न ही नहीं था। बच्चे मायूस हो गए। थोड़ी देर वहां रुके और वापस चल पड़े। वापसी की सड़क पकड़ी तो धारा हमारे बाएं बह रही थी। एक जगह खाली मैदान देख गाड़ी रोकी और चल पड़े धारा की तरफ। यहाँ पानी का वेग कम था, शायद सहस्त्रधारा पर पत्थर से रोक कर पानी तेज किया गया था। बच्चे अपने खेल में लग गए। ढेर सारे पत्थर पाने में फेंके गए। किसका पत्थर दूर जायेगा ! अच्छा ही हुआ कि सहस्त्र धारा पर पानी ज्यादा था वर्ना हम यहाँ कैसे आ पाते। यहाँ कोई कंस्ट्रक्शन नहीं था। चारों तरफ हरियाली थी और प्राकृतिक सुंदरता थी। यहीं बैठे बैठे बहुत देर हो गयी। हमें देख एक और गाड़ी रुक गयी और एक और परिवार भी आ गया था। कुछ देर बाद हम देहरादून के लिए निकल पड़े। वापसी के लिए पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा। रास्ते में हेलिपैड मिला जहाँ हेलिकोप्टर लैंड होने जा रहा था। तेज आवाज सुनी तो रुक गए और हेलीकॉपटर की लैंडिंग भी देखी। 3 बज चुके थे और भूख लगी थी। राजपुर पास ही था। खाना तय हुआ Orchard रेस्टोरेंट में। 

यह रेस्टोरेंट राजपुर में एक हरी भरी जगह है और अपने chinese, tibetian और थाई खाने के लिए काफी लोकप्रिय है। लोकेशन गजब की है। एक तरफ घना बाग़ जिसमें आम और लीची के पेड़ है। दूसरी तरफ गहरी खाई जहाँ से दूर तक सुन्दर दृश्य दिखते हैं। रेस्टॉरंट की लोकेशन ढूंढना थोड़ा मुश्किल है लेकिन गूगल की मदद से आराम से पहुँच सकते हैं। पहाड़ पर एक तो पकोड़े और दुसरे चाऊमीन का कोई जवाब नहीं। हमने 1 प्लेट फ़्राईड राइस, 1 प्लेट चाउमीन और 1 मंचूरियन आर्डर की। वेटर को बोला कि चाऊमीन बिना मिर्च की हो (बच्चों के लिए) । खाना खा कर वापस चले तो पास ही एक बड़ा पार्क दिखा।  ये पार्क MDDA का था। पार्क काफी बड़ा था और आम, कटहल के पेड़ों से भरा था। पार्क के अंदर पहुंचे तो देखा कि पार्क पहाड़ पर काफी नीचे की तरफ तक बना हुआ था। काफी लोग नीचे भी थे। दूर कहीं एक छोटी से नदी बह रही थी जिसकी आवाज हमें ऊपर तक सुन रही थी। पार्क में लोग तो काफी थे पर जगह बहुत बड़ी थी इसलिए भीड़भाड़ का अहसास नहीं था। हम लोग पूरा पार्क घूम एक तरफ बैठ सुस्ताने लगे और बच्चे पकड़म पकड़ाई खेलने लगे। शाम हुई, पार्क बंद होने का समय हुआ तो केयरटेकर सबको बाहर जाने के लिए कहने लगा। हम भी बाहर आये, गाड़ी ली और चल पड़े वापस देहरादून। शाम की कॉफी फिर The Buffet Shop में पीनी थी और फिर पलटन बाजार भी घूमना था। गाड़ी वहीँ कल वाली पार्किंग में लगाई, कॉफी पी और पल्टन बाजार पैदल ही चले पड़े। 10 मिनट में पल्टन बाजार पहुँच गए। खूब भीड़ थी और दोनों तरफ की दुकाने व्यस्त थीं। हमने भी हलकी फुलकी शॉपिंग की। इसके बाद पहुंचे Sunrise Bakery । यह बेकरी अपने कुरकुरे बिस्किट्स और गोल रस्क के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। बेकरी काफी पुरानी है लेकिन क्वालिटी का कोई जवाब नहीं। कुछ दिन पहले इन्होने एक नया आउटलेट राजपुर रोड पर खोला है लेकिन वो इतना नहीं चलता। शायद लोगों को पुरानी दुकान पर ही ज्यादा भरोसा है। बहुत से बिस्कुट चख कर अपने मन पसंद बिस्कुट पैक कराये, साथ में एक पैकेट रस्क का लिया और वापस होटल चल पड़े। होटल पहुंचे, फ्रेश हुए और आराम करने लगे। जब भूख लगी तो वेज बिरयानी आर्डर की जो कि असल में वेज पुलाव ही था। खाना टेस्टी था और quantity भी बहुत थी। चारों लोगों ने भर पेट खाया। थोड़ा टीवी देखा और फिर सो गए। कल वापस भी तो जाना था।

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कटलेट और कॉफी 










सहस्त्र धारा पर 



















1 comment:

  1. bahut khoob aesa lga ki hm saath main saer kr rahe hai ...ankho dekhi .thank you

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