Sunday 20 January 2019

जयपुर की सैर: भाग 5...

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2. जयपुर की सैर: भाग 2...
3. जयपुर की सैर: भाग 3...
4. जयपुर की सैर: भाग 4... 
5. जयपुर की सैर: भाग 5... 

तीसरे दिन सुबह सुबह सब जल्दी उठे। आज हमारी दिल्ली वापसी थी। बैग वापस पैक कर लिया गया। सब लोग तैयार हुए और नीचे रेस्टोरेंट में जा कर नाश्ता कर आये। दिन भर के लिए रेंटल वाली टैक्सी भी बुला ली थी। होटल से चेकआउट किया और निकल पड़े। साड़ियों की शॉपिंग कल ही हो चुकी थी। आज बंधेज की सूट खरीदने थे। महेश गौर जी ने जौहरी बाजार जाने की सलाह दी थी। हम लोग जौहरी बाजार जाने से पहले कहीं और भी ट्राई करना चाह रहे थे।

टैक्सी में बैठ कर ड्राइवर को कपड़ों की किसी लोकल मार्किट के बारे में पूछा। वो बोले कि मानसरोवर में कुछ टेक्सटाइल फैक्ट्रियां हैं जिनका एक छोटा सा रिटेल आउटलेट भी होता है। चाहिए तो वहीँ देख सकते हो। मानसरोवर पास ही था। इसलिए उनको वहीँ चलने के लिए बोला। ड्राइवर जी हमें एक टेक्सटाइल फैक्ट्री पर ले गए। ये फैक्ट्री हमारे होटल से कुछ 4 किलोमीटर दूर थी। हम लोग फैक्ट्री के रिटेल आउटलेट में पहुंचे। ये कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा शोरूम ही था। कपड़ों की ढेर सारी वैरायटी थी। हमने कुछ कपडे देखे और कीमत पूछी। उन्होंने जो दाम हमें बताया वो जौहरी बाज़ार या बापू बाजार से भी बहुत ज्यादा था। जब मोलभाव करने लगे तो उन्होंने एक दाम कह कर मना कर दिया। इसलिए हम लोग वहाँ से निकल आये।

बाहर आकर टैक्सी में बैठे और ड्राइवर को पूरी बात बताई। इस बार वो हमें टोंक रोड पर एक और शोरूम में ले गए। बोर्ड पर नेशनल हैंडलूम लिखा था। ध्यान से देखा तो ये "न्यू नेशनल हैंडलूम" था। चलिए अब आ ही गए थे तो देख ही लेते हैं। इनके दाम ठीक थे लेकिन वैरायटी बहुत सीमित थी। यहाँ से भी निराश हो कर बाहर निकल आये।

अबकी ड्राइवर को सीधा जौहरी बाजार चलने के लिए ही बोला। वो बोले कि ठीक है लेकिन यहीं एयरपोर्ट के पास एक और दुकान है। चाहो तो वहां भी देख लो। हमने उनको वहीँ चलने के लिए बोल दिया। इस दुकान में दाम और वैरायटी दोनों ही ठीक मिले। इसलिए यहीं से शॉपिंग हो गयी और हम जौहरी बाजार के मोलभाव से बच गए। हालाँकि इस सब भाग दौड़ में दोपहर का 1 बज गया था।

अब हम टोंक रोड पर ही स्थित सोढानी स्वीट्स पहुंचे। यहाँ से घर के लिए प्याज की कचौड़ी और मिर्ची बड़ा पैक कराने थे। मैं खुद तो यहाँ की कचौड़ी कई बार खा चुका था लेकिन जब भी घर ले जाने के लिए कचौड़ी पैक करवाई तो वो स्टेशन के पास रावत के यहाँ से ही ली। सोढानी स्वीट्स भी जयपुर के बड़े और प्रसिद्द मिष्ठान भंडार में से एक है। इनके जयपुर में कई आउटलेट हैं। टोंक रोड वाला आउटलेट शायद सबसे ज्यादा व्यस्त रहता है।

यहाँ पहुँच हमने 2 प्याज की कचौड़ी, 2 मिर्ची बड़े और 1 मावा कचौड़ी पैक करवाई। ख़ास बात ये थी कि एक बड़ा सा बर्तन भर ताजा तली हुई कचौड़ियाँ काउंटर पर लायी जाती थीं और देखते ही देखते सब बिक जाती थीं। हमने पैकिंग करने वालों से पूछा कि इतनी गरम कचौड़ियाँ पैक होंगी तो अपनी ही भाप से पसीज नहीं जाएँगी। वो बोले कि लिफाफे का कागज़ इस भाप को सोख लेगा इसलिए आप निश्चिन्त हो कर ले जाओ।

जब तक हमारी कचौड़ियाँ पैक हुईं, तब तक बच्चे लस्सी वाला काउंटर देख आये। हमने लस्सी के 2 टोकन ले लिए। मिटटी के गिलासनुमा कुल्हड़ में गाढ़ी लस्सी पीना भी बढ़िया रहा। लस्सी इतनी गाढ़ी और मलाईदार थी कि लकड़ी के चम्मच से निकाल कर खानी पड़ रही थी।

लस्सी ख़तम कर हम यहाँ से चले। हमारी ट्रेन दोपहर 3 बजे की थी। अभी हमें लंच करना था और सीधा स्टेशन पहुँच जाना था। लंच के लिए C स्कीम में कान्हा स्वीट्स पहुंचे। ये ठीक स्टेशन के रास्ते में ही था। कल रात का खाना भी इनके दूसरे रेस्टोरेंट में हुआ था। रेस्टोरेंट में पहुँच कर लंच आर्डर कर दिया और साथ ही ट्रेन के लिए भी वेज बिरयानी पैक करने के लिए बोल दिया।

खाना आने में थोड़ा समय लगा। इस बीच बच्चों से बात होती रही। बेटी का बाल सुलभ मन वापस दिल्ली जाने के नाम से परेशान था। ये अभी और घूमना चाहती थीं। इनको दादा दादी से मिलने का लालच दिया तो थोड़ा प्रफुल्लित हो गयीं।

खाना खा कर सीधा स्टेशन पहुँच गए। टैक्सी ड्राइवर को पैसे दिए और प्लेटफॉर्म पर पहुँच गए। पानी की बोतल, रास्ते के लिए चिप्स व बिस्किट खरीदे और ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे। प्लेटफॉर्म पर सरस का बूथ था। वहां से मसाला छाछ ली गयी। दिल्ली में अमूल, पंजाब में वेरका और राजस्थान में सरस - तीनों ही दूध और दूध से बने पदार्थों के टॉप ब्रांड हैं।

ट्रेन लगभग अपने समय पर ही प्लेटफॉर्म पर आ पहुंची। हमलोग डब्बे में चढ़े और अपनी सीटों पर पहुँच गए। ट्रेन के चलते ही सब ऐसे सोये कि सीधा 2 घंटे बाद टीटी जी के आने पर ही आँख खुली। ट्रेन ठीक शाम 8:30 पर दिल्ली सराय रोहिल्ला पहुंची और हम लोग टैक्सी ले कर अपने घर पहुँच गए।

इस प्रकार इस बढ़िया फॅमिली ट्रिप का अंत हुआ।

सोढानी की लस्सी 




जयपुर स्टेशन 

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