Friday 28 December 2018

जयपुर की सैर: भाग 2...

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2.  जयपुर की सैर: भाग 2...
4 . जयपुर की सैर: भाग 4... 

स्टेशन से होटल के लिए निकले। दोपहर के 2 बजने वाले थे और भूख जोरों पर थी। इसलिए होटल पहुँचने से पहले खाना खाने Four Seasons Restaurant पहुंचे।

यह रेस्टोरेंट C स्कीम में सुभाष मार्ग पर स्थित है। इस रेस्टोरेंट में हम अपनी पिछली जयपुर ट्रिप में भी आ चुके थे। तब यहाँ का खाना हम सबको बहुत पसंद आया था। इसलिए हम अपनी इस ट्रिप की शुरुआत इसी रेस्टोरेंट से करना चाहते थे । रेस्टोरेंट इतना लोकप्रिय है कि रात को यहाँ 20 - 30 मिनट की वेटिंग बहुत ही सामान्य है। 

हमने एक थाली और साथ में राजस्थानी गट्टे की सब्जी ऑर्डर की। खाना बहुत ही बढ़िया था। खास तौर पर गट्टे की सब्जी और मिस्सी रोटी कमाल थीं। रेस्टोरेंट थोड़ा महँगा है लेकिन खाना लाजवाब है।


खाना खाकर होटल के लिए चल पड़े। हमारी बुकिंग होटल रैडिसन ब्लू में थी। टोंक रोड पर स्थित होटल रैडिसन जयपुर शहर के प्रमुख होटल्स में से एक है। इस होटल का विस्तृत रिव्यु पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

होटल पहुँच चेक-इन किया। रिसेप्शन पर यश जी थे। उनको आग्रह किया कि हमें टोंक रोड की तरफ वाला फ्रंट व्यू रूम दिया जाये। उन्होंने कंप्यूटर में चेक कर हमें फ्रंट व्यू रूम दिया। चाबी ले कर रूम में पहुंचे तो पता लगा कि ये तो पीछे वाला रूम है। इस होटल के पीछे 2 और होटल्स हैं जिनकी वजह से व्यू बिलकुल ब्लॉक है। रूम से वापस रिसेप्शन पर फोन किया और यश जी को दोबारा फ्रंट व्यू रूम का आग्रह किया। थोड़ी देर में उन्होंने दुसरे रूम की चाभी अपने स्टाफ के हाथों भिजवा दी। 

ये रूम होटल की टॉप फ्लोर यानि 7वीं मंजिल पे था। यहाँ से मुख्य सड़क और उसके आगे खेतों और हरियाली का बढ़िया व्यू था । साथ ही रूम में अच्छी धूप भी आ रही थी। थोड़ी देर आराम कर और फ्रेश हो कर मैं अपनी एक मीटिंग निबटाने निकल गया। बाकी तीनों तब तक रूम में ही आराम करते रहे। 

शाम को वापस होटल पहुंचा। देखा कि दोनों बच्चे बाथ टब में झाग बना कर बैठे हैं। पता लगा कि आधे घंटे से भी ज्यादा समय से ये खेल चल रहा था। दोनों को डांट कर बाहर निकाला। उन्हें जल्दी से तैयार किया गया । अब हम जयपुर घूमने के लिए तैयार थे। 

होटल से निकल टैक्सी की और सबसे पहले बिड़ला मंदिर पहुंचे। मंदिर पहुँचते पहुँचते अँधेरा हो गया था और मंदिर सफ़ेद रोशनी से नहाया हुआ था। यह मंदिर बी एम बिरला ट्रस्ट ने सन 1988 में बनवाया था। मोती डूंगरी की पहाड़ी के पास स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को समर्पित है। इसलिए यह मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

हम लोग मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे तो सिक्योरिटी गॉर्ड ने हमें जल्दी अंदर आने का इशारा किया। अंदर गए तो देखा कि आरती की तैयारी चल रही थी। मुख्य कक्ष के दरवाजे पर पर्दा लगा हुआ था और बहुत से श्रद्धालु चुपचाप हाथ जोड़े आरती शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। हम लोग भी हाथ जोड़ कर खड़े हो गए। गॉर्ड साहब जल्दी जल्दी और लोगों को भी अंदर बुला रहे थे।

तभी परदे के पीछे कुछ हलचल हुई। थोड़ी देर में पर्दा हटा और भगवान नारायण व लक्ष्मी जी के दर्शन हुये। आरती शुरू हो गयी । पूरा वातावरण भक्ति मय था। सभी लोग ॐ जय जगदीश हरे आरती गा रहे थे। मंदिर की छत काफी ऊंची होने के वजह से घंटियों और आरती की आवाज गूँज रही थी। आरती ख़त्म हुई। सभी ने पुजारी जी से आरती और प्रसाद लिया, मुख्य कक्ष की परिक्रमा की और मंदिर प्रांगण से बाहर आ गए।

बाहर आये तो मंदिर की सुंदरता देख कर आनंद ही आ गया। विशाल भवन सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ था। पूरा प्रांगण बिलकुल साफ़ था। सामने श्री एवं श्रीमती बिरला जी की आदमकद प्रतिमाएं लगी थीं। काफी भीड़ होने और व्यस्त सड़क के बिलकुल सामने होने के बाद भी मंदिर में बहुत शांति थी। हम कुछ देर वहां बैठे, फोटो खींचे और फिर वापस चल पड़े। ध्यान दें कि मुख्य प्रांगण में फोटो खींचना मना है। इसलिए सभी लोग बाहर आ कर ही फोटो खींच रहे थे। हमने देखा कि मोती डूंगरी के पहाड़ पर भी एक काफी बड़ा मंदिर है। हम लोग वहां भी जाना चाह रहे थे।

बिरला मंदिर के बिलकुल पास ही मोती डूंगरी का गणेश जी का मंदिर है। बिरला मंदिर से निकल कर हम मोती डूंगरी मंदिर पहुंचे। इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। मंदिर के बाहर दुकान से प्रसाद लिया और गणेश जी के दर्शन किये । इस मंदिर में गणेश जी की सिंदूर की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बाहर काफी लोग अपनी नयी गाड़ी की पूजा करवाने आये हुए थे। मंदिर के सामने एक और मंदिर है जिसमें पंचमुखी हनुमान और दुर्गा माता की प्रतिमा है। हमने यहाँ भी दर्शन किये।

मंदिर से बाहर आये तो सामने बैठे पुलिस कर्मी को ऊपर पहाड़ पर बने मंदिर के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि ऊपर शिव जी का मंदिर है। लेकिन ऊपर जाने का रास्ता बंद है और साल में सिर्फ एक दिन ही ऊपर जा सकते हैं। इसलिए हम लोग भी अपने अगले पड़ाव अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की तरफ चल पड़े।

बिरला मंदिर के सामने खड़े ऑटो को अल्बर्ट हॉल जाने का पूछा लेकिन वो जाने को तैयार नहीं हुआ। हम पैदल ही बाहर मुख्य सड़क तक आ गए। यहाँ से अल्बर्ट हॉल डेढ़ किलोमीटर दूर था। एक बार तो पैदल ही जाने की तैयारी होने लगी लेकिन बच्चों का इतना चलना मुश्किल था। इसलिए वहीँ खड़े हो ऑटो का इंतजार करने लगे। पास में ही खाने पीने के बहुत से स्टाल थे। इनमें कई स्टॉल पंडित की मशहूर पावभाजी के नाम से थे। एक ही नाम से इतने स्टॉल !!

इतने में एक ई-रिक्शा आ गया। इसमें बैठ अल्बर्ट हॉल की तरफ चल पड़े। ई-रिक्शा के चालक महोदय ने सर्किल को उलटी दिशा से पार किया। यानि बाएं जाने की बजाय वो रॉंग साइड जा कर दाएं ही मुड़ गए। दो मिनट के लिए तो अजीब स्थिति रही। सामने से आता तेज रफ़्तार ट्रैफिक और हमारे वाहन चालक उस ट्रैफिक से जूझते रहे। आखिर उन्होंने हमें अल्बर्ट हॉल के द्वार पर पहुंचा ही दिया।

आगे बहुत भीड़ लगी थी। ढेर सी तेज लाईटों के बीच एक पत्रकार महोदय अपने सवाल जवाब में लगे थे। शायद किसी न्यूज़ चैनल की लाइव डिबेट चल रही थी। राजस्थान में विधानसभा चुनाव का मौसम था। वहाँ जा कर देखा तो सचिन पायलेट मंच पर थे और जनता के सवालों के जवाब दे रहे थे। उनका कार्यक्रम चलता रहा और हम लोग वापस अल्बर्ट हॉल के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए। टिकट खिड़की पर जा कर टिकट लेने लगे।

 "भैया, 4 लोगों का टिकट दे दीजिये। 2 बड़े हैं और 2 बच्चे।"

टिकट बाबू ने शीशे से झाँका और बोले, "300 रुपये दे दीजिये। छोटी बच्ची की एंट्री फ्री रहेगी।"

"300 रुपये!! यानि प्रति व्यक्ति 100 रुपये? टिकट के दाम इतने ज्यादा क्यों हैं?"
"शाम को टिकट 100 रुपये का है। आप कल दिन में आ जाओ। दिन में 40 रुपये का है और बड़े बच्चे का आधा हो जायेगा।"

हमने हिसाब लगाया कि अभी 300 रुपये और कल दिन में 100 रुपये। जब हमारे पास समय है ही तो फिर कल आ कर ही देख लेंगे। वैसे भी हमें अगले दिन इसी तरफ बापू बाजार आना ही था। इसलिए हम वहाँ से निकले, ई-रिक्शा लिया और 5 बत्ती चौराहे पहुंचे।

यहाँ काफी देर MI रोड पर इधर उधर टहल कर सूर्या महल रेस्टोरेंट पहुंचे और खाना खाया। खाना खा कर घूमते घूमते राजमंदिर सिनेमा तक पहुँच गए। इस बीच havmore की कुल्फी भी खाई गयी। हालाँकि मौसम ठंडा था लेकिन बच्चों की जिद के आगे हमारी  नहीं चली।

अब रात के लगभग 9 बज चुके थे और सबको थकान थी। इसलिए टैक्सी ली और होटल पहुँच गए। रूम में आ कर सबने गुनगुना पानी पिया, जिससे सर्दी में कुल्फी खाने के बाद हुई ख़राश में काफी राहत पहुंची। बच्चा पार्टी बहुत देर खिड़की के पास बैठ "कौन बनेगा करोड़पति" खेलती रही। 11 बजते बजते हम लोग सो गए।

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Four Seasons में लंच 



 ये है इनका KBC का सैट, हॉट सीट पर भाई साहब बैठे हैं।  

मोती डूंगरी की पहाड़ी और ऊपर बना शिव मंदिर 


 बिरला मंदिर 




रंगीन रोशनी में नहाया अल्बर्ट हॉल 

डिनर और दिन का अंत 

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